आशा करते है आपने इससे पहले के सभी अध्यायद पढ़ लिए होंगे। इस अध्याय में हम जानेंगे खटका, मुर्की और मींड के बारे में जैसे की खटका, मुर्की और मींड क्या होते है और संगीत में इनका क्या महत्त्व है। इसे समझने के लिए संगीत का आधारभुत ज्ञान बहुत जरुरी है अगर आपने संगीत के शुरुआत के अध्याय नहीं पढ़े तो यहाँ क्लिक करके पढ़े। चलिए शुरू करते है खटका, मुर्की और मींड किसे कहते है ?
खटका किसे कहते है ?
खटका शब्द का अर्थ है भय, संदेह इत्यादि। किन्तु संगीत में गिटकरी, मुर्की और खटका एकार्थबोधक है। यह एक प्रकार का अलंकार विशेष है। किसी एक स्वर को उसके आगे-पीछे के स्वरों के साथ शीघ्रता से उत्पन्न करने को खटका कहते है। खटका प्राचीन गमक का ही एक प्रकार है। इसके प्रयोग से किसी भी रचना की सौंदर्य वृद्धि होती है। इसे इस प्रकार लिख सकते है:
(प) गाने के लिए प म ध प अथवा प ध प म प गाते है।
गमक किसे कहते है और इसके कितने प्रकार होते है ?
मुर्की किसे कहते है ?
गमक के इस प्रकार में द्रुत गति से तीन स्वरों का एक अर्धवृत्त बनाते है, जैसे – रे नी स अथवा ध म प। मुर्की लिखने के लिए मूल स्वर के ऊपर बाईं ओर दो स्वरों का कण लिख दिया जाता है। जैसे:


मींड किसे कहते है ?
गायन और वादन कला की क्रिया का यह रूप विभिन्न भावो को प्रदर्शित करने के लिए प्रयोग किया जाता है। जब दो स्वरों के बीच आए हुए स्वरों का प्रयोग किए बिना ही मिलाप किए जाता है तो उसे मींड कहते है। दोनों स्वरों के बीच के स्वर स्पर्श कहते हुए गोलाई में तो आ सकते है, परन्तु स्पष्ट रूप से नहीं। यह विलम्बित लय की क्रिया होती है जो भक्ति, शोक और शांत जैसे स्थायी भावो को दर्शाने में सहायता करती है। इसे दर्शाने के लिए उल्टा चंद्राकर प्रयोग किए जाता है, जैसे:


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