आशा करते है आपने इस ब्लॉग से पहले संगीत से जुड़े सभी ब्लॉग पढ़ लिए होंगे। जिसमे संगीत की आधारभूत जानकारी दी गयी है जो संगीत सिखने के लिए बहुत जरुरी है। आज के ब्लॉग में हम थाट के बारे में बताएँगे। जैसे की थाट क्या है ? थाट के कितने प्रकार है ? और संगीत में थाट क्यों जरुरी है ? चलिए शुरू करते है थाट क्या है ?
थाट क्या है ?
संगीत में नाद से श्रुति, श्रुति से स्वर तथा स्वर से सप्तक की उत्पत्ति मानी गयी है। सप्तक के स्वरों में शुद्ध और विकृत रूपों सहित, जिसमे रागो की उत्पत्ति की क्षमता हो, थाट कहलाता है। थाट को मेल भी कहा जाता है।
थाट के कितने प्रकार है ?
वैसे तो 12 स्वरों में से 7 स्वरों से अनेक थाटों की रचना हो सकती है परन्तु हिंदुस्तानी संगीत में ऐसे थाट (जो रंजक रागो की रचना कर सके) केवल 10 माने गए है। इन 10 थाटों में प्रचलित सभी रागो का वर्गीकरण किया गया है। 10 थाटों के नाम इस प्रकार है:-
1.) बिलावल थाट: स रे ग म प ध नी
2.) कल्याण थाट: स रे ग म (तीव्र म) प ध नी
3.) खमाज थाट: स रे ग म प ध नी
4.) भैरव थाट: स रे ग म प ध नी
5.) मारवा थाट: स रे ग म (तीव्र म) प ध नी
6.) काफी थाट: स रे ग म प ध नी
7.) भैरवी थाट: स रे ग म प ध नी
8.) पूर्वी थाट: स रे ग म (तीव्र म) प ध नी
9.) तोड़ी थाट: स रे ग म (तीव्र म) प ध नी
10.) आसावरी थाट: स रे ग म प ध नी
थाट क्यों जरुरी है ?
संगीत में हर एक चीज़ बहुत जरुरी है जैसा की ब्लॉग की शुरुआत में ही बताया गया था की कैसे नाद से श्रुति, श्रुति से स्वर और स्वर से सप्तक का निर्माण किया गया। उसी तरह रागो के निर्माण के लिए हमे स्वरों के एक समूह की जरुरत होती है जिन्हे अगर कुछ नियमो के अंतर्गत गाया या बजाया जाता है तो वो एक राग का रूप ले लेता है।
अब थाट की जरुरत इसीलिए पड़ी क्योकि रागो की संख्या बहुत ज्यादा है और उन्हें सहेज कर रखने और नियमो को आसानी से याद करने के लिए थाट का निर्माण किया गया। थाट की मदद से हम हर राग को किसी न किसी थाट के अंतर्गत गाते है जिससे रागो में कौन से स्वर का प्रयोग करना है उसे याद रखना आसान होता है।
Thanks For Reading – पढ़ने के लिए धन्यवाद्
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