राग क्या है ? संगीत का सिद्धांत

आशा करते है इसे पढ़ने से पहले आपने संगीत का आधारभूत ज्ञान के बारे में पता है। जैसे की संगीत क्या है ? संगीत की उत्पत्ति कहाँ से हुई ? सुर क्या होते है ? सप्तक क्या होता है ? अगर आपने अभी तक इसके बारे में नहीं पढ़ा है तो पहले इसके बारे में पढ़े क्योकि इसके बिना आपको राग क्या है समझ नहीं आएगा। सगीत का आधारभूत जानकारी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे। इस ब्लॉग में आपको राग के बारे में बताया जायेगा जैसे की राग क्या है और राग का निर्माण कैसे हुआ ? चलिए शुरू करते है – राग क्या है ? संगीत का सिद्धांत

राग क्या है ? संगीत का सिद्धांत

राग शब्द आपने कभी न कभी जरूर सुना होगा अगर आप थोड़ी सी भी संगीत में रूचि रखते है। राग शब्द का अर्थ है ‘आनंद देना’। कम से कम पांच और अधिक से अधिक सात विशिष्ट स्वरों और वर्णो की बहुत सुन्दर तालबद्ध रचना जिससे आनंद की प्राप्ति होती है, उसे राग कहते है। दूसरे शब्दों में स्वरों का ऐसा समूह जो एक नियम के अनुसार गाया बजाया जाये और आनंद प्रदान करे उसे राग कहते है। राग में कम से कम पांच और अधिक से अधिक सात स्वर हो सकते है।

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रागो की उत्पत्ति या निर्माण थाटों से मानी गयी है। क्योकि राग गाए – बजाये जाते है इसलिए उन्हें रंजक होना चाहिए। राग हमे अलग – अलग प्रकार के रसों का अनुभव कराते है। जैसा की आपने पढ़ा होगा की थाट में भी स्वरों का समूह होता है जिसे नियम के अनुसार गाया और बजाया जाता है, तो राग और थाट अलग – अलग क्यों है।

थाट और राग में क्या अंतर है ?

थाट

  • थाट की उत्पत्ति सप्तक के शुद्ध अथवा विकृत 12 स्वरों से होती है
  • थाट में सात स्वर अनिवार्य है
  • थाट में स्वरो का क्रमानुसार होना आवश्यक है
  • थाट को केवल आरोह की आवश्यकता होती है
  • थाट गाया नहीं जाता, इसीलिए इसमें रंजकता की आवश्यकता नहीं होती

राग

  • राग की उत्पत्ति थाट से होती है
  • राग में कम से कम पाँच स्वर तथा अधिक से अधिक सात स्वर हो सकते है
  • राग में स्वरों का क्रमानुसार होना आवश्यक नहीं है
  • राग में आरोह-अवरोह दोनों का होना आवश्यक है
  • राग गाया अथवा बजाया जाता है, इसीलिए इसका रंजक होना आवश्यक है

राग की जाति क्या होती है ?

राग के आरोह-अवरोह में लगने वाले स्वरों की संख्या से राग की जाति का बोध होता है। संख्या की दृष्टि से राग के तीन प्रकार है। 1.) पाँच स्वर वाले रागो की जाति औडव 2.) छः स्वर वाले रागो की जाति षाडव3.) सात स्वर वाले रागो की जाति सम्पूर्ण

रागो की तीन मुख्य जातियों से यह तो पता चलता है की किस राग के आरोह-अवरोह में कितने स्वर लगे है परन्तु सभी रागो के आरोह-अवरोह में अलग – अलग स्वर समूहों का प्रयोग होता है जिससे स्वरों की संख्या भी अलग हो जाती है। उदाहरण के लिए राग देस में आरोह में पाँच स्वर तथा अवरोह में सात स्वर लगते है जिससे उसकी जाति औडव-सम्पूर्ण बनती है।

राग की कितनी जातियाँ होती है ?

राग की मुख्य नौ जातियाँ होती है जो निम्नलिखित है:-

1.) औडव – औडव 2.) औडव – षाडव3.) औडव – सम्पूर्ण 4.) षाडव – षाडव 5.) षाडव – औडव 6.) षाडव – सम्पूर्ण 7.) सम्पूर्ण – सम्पूर्ण 8.) सम्पूर्ण – षाडव 9.) सम्पूर्ण – औडव

Thanks For Reading – पढ़ने के लिए धन्यवाद्

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