संगीत हमेशा से ही हमारी ज़िन्दगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है | मनुष्य अपने जीवन में बचपन से ही संगीत सुनता आता है, जब छोटे बच्चे रोते है तो उन्हें एक खिलौना ( झुन – झुना ) दिया जाता है, वह भी एक तरह का संगीत ही है जिसे बच्चे बहुत पसंद करते है | इसी तरह बहुत से लोग अपना काम करते समय संगीत सुनना पसंद करते है |
आपने लोगो को संगीत सुनते और संगीत बजाते हुए जरूर सुना होगा परन्तु क्या आपको पता है की संगीत क्या है ? हो सकता है आपको ये प्रश्न अजीब लगे लेकिन वास्तव में संगीत क्या है और संगीत दुनिया में आया कहा से इसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते है | आज की इस ब्लॉग में संगीत का आधारभूत ज्ञान दिया जायेगा जैसे की संगीत क्या है ? इसकी शुरुआत कहा से हुई ? क्या संगीत सिखने के लिए आवाज अच्छी होना जरुरी है ? तो चलिए शुरू करते है और हम आशा करते है इस ब्लॉग को पढ़ने के बाद आपको संगीत से जुडी कुछ सामान्य बातो का ज्ञान होगा | – संगीत क्या है – What is Music ?
संगीत क्या है ?
आमतौर पे सिर्फ गायन को संगीत कहा जाता है परन्तु वास्तव में गायन, वादन, और नृत्य इन तीनो कलाओ के समावेश को संगीत कहते है | ये तीनो कलाएँ अलग – अलग होते हुए भी एक दूसरे पे किसी न किसी तरह निर्भर रहती है | जैसे आप बिना किसी वादन के गायन नहीं कर सकते, नृत्य करने के लिए गायन और वादन की आवश्यकता पड़ती है और ठीक इसी तरह गायन और नृत्य के साथ ही वादन किया जाता है |
संगीत शब्द सुना सबने है परन्तु क्या किसी को पता है इसकी उत्पत्ति कहा से हुई | वास्तव में संगीत शब्द ‘गीत’ शब्द में ‘सम’ शब्द लगाकर ‘ बना है जिसका अर्थ है अच्छा गीत जो कर्णप्रिय हो और लोगो का मनोरंजन कर सके | जब हम शब्द, स्वर और लय के माध्यम से अपने दिल की भावनाओ को प्रकट करते है तो उसे गायन कहते है | गायन, वादन और नृत्य इन तीनो कलाओ के बारे में यह कहा गया है की गायन के अधीन वादन और वादन के अधीन नृत्य है इसीलिए गायन कला को प्रधान माना गया है |
संगीत हमारे जीवन में जरुरी क्यों है ?
संगीत को हमेशा से सभी ललित कलाओ में सर्वश्रेष्ठ माना गया है | आप सभी ने कभी न कभी जरूर सुना होगा की संगीत कला सबसे प्राचीन कला है | मनुष्य ने जब भाषा भी नहीं सीखी थी, तब भी लोग किसी न किसी रूप में संगीत का आनंद लेते थे | आदिमानव भी अपने भावनाओ को व्यक्त करने के लिए गुनगुनाया करते थे | जिस प्रकार चिडियो का चहचहाना और छोटे बच्चे को रोना स्वतः ही आ जाता है उसी प्रकार मनुष्य को गुनगुनाना, नाचना और अपने भावो को व्यक्त करना स्वतः ही आता है |
इसीलिए कुछ लोग कहते है की उन्हें संगीत बिलकुल पसंद नहीं और वो संगीत भी नहीं सुनते परन्तु ऐसा मुमकिन नहीं, क्योकि संगीत एक मनुष्य के जीवन का आधार है जो जाने अनजाने हमेशा मनुष्य के जीवन में रहता है और ख़ुशी या दुःख के समय संगीत मनुष्य को बहुत सहारा प्रदान करता है |
संगीत की उत्पत्ति कहा से हुई ?
जिस प्रकार किसी भी काम को करने के लिए किसी आधार की जरुरत पड़ती है उसी प्रकार संगीत के लिए नाद और शब्द की जरुरत पड़ती है | संगीत केवल नाद प्रधान ही है | अब आप ये सोच रहे होंगे की ये नाद क्या है जिसके बिना संगीत का कोई वजूद नहीं है, इसके बारे में बताया जायेगा परन्तु इससे पहले ध्वनि के बारे में बात कर लेते है |
ध्वनि
ध्वनि के बारे में हम सभी बचपन से पढ़ते आ रहे है, कोई भी आवाज जो कानो को सुनाई दे उसे ध्वनि कहते है | कुछ ध्वनिया सुनने में बहुत अच्छी लगती है वही कुछ ध्वनिया ऐसी होती है जिन्हे हम सुनना बिलकुल पसंद नहीं करते | जैसे बादलो की गड़गड़ाहट, पक्षियों का चहचहाना, किसी वाद्य की आवाज या किसी का गायन ये ऐसी ध्वनिया है जिन्हे सुनना बहुत अच्छा लगता है |


अब धवनि हमे पता है की ये एक आवाज होती है जो हमे सुनाई देती है पर ध्वनि उत्पन्न कैसे होती है ? तो ध्वनि की उत्पत्ति कम्पन (Vibration) से होती है, जब हम किसी भी वस्तु पे मारते है तो एक कम्पन उत्पन्न होता है जिसे ध्वनि कहते है | गिटार या किसी भी तारो वाले वाद्य में ध्वनि तारो के कम्पन से उत्पन्न होती है | तबला या ढोलक में चमड़े के कम्पन से ध्वनि उत्पन्न होती है उसी प्रकार मनुष्य के गले में स्वर तन्त्रियो (Vocal Chords) के कम्पन से ध्वनि उप्तन्न होती है |
नाद
वह ध्वनि जो सुनने में अच्छी लगे और संगीत के लिए उपयोगी हो उसे नाद कहते है | संगीत की भाषा में वह ध्वनि जिसमे नियमित और स्थिर आंदोलन संख्या रहती है उसे नाद कहते है | उसी प्रकार जिस ध्वनि की आंदोलन संख्या अनियमित और अस्थिर होती है वह कानो को अच्छी नहीं लगती और उसे शोर कहते है | ध्वनि की तरह नाद के भी तो प्रकार होते है 1.) आहत नाद और 2.) अनहद नाद
आहत नाद
जो नाद दो वस्तुओ के टकराने या किसी प्रकार के संघर्ष से उत्पन्न होता है उसे आहत नाद कहते है जैसे किसी वाद्य का तार छेड़ने पे उत्पन्न आवाज, दो वस्तुओ के घर्षण से या वस्तु में हवा भरकर निकलने से उत्पन्न आवाज |
अनहद नाद
जो नाद बिना किसी के टकराने या बिना किसी संघर्ष से उत्पन्न होते है उसे अनहद नाद कहते है | दूसरे शब्दों में वह नाद जो सिर्फ ज्ञान से जाना जाता है इसका संगीत से कोई सम्बन्ध नहीं होता | जैसे अगर आप कानो को बंद करेंगे तो आपको एक आवाज सुनाई देगी जो बिना किसी संघर्ष के उत्पन्न होती है | इस नाद को ‘गुप्त नाद’ भी कहते है | यह नाद योगी पुरुष मोक्ष के स्तर पर उत्पन्न किया करते है और इसका संगीत से कोई सम्बन्ध नहीं है |
संगीत सिखने के लिए आवाज अच्छी होना जरुरी है क्या ?
ये प्रश्न बहुत से लोगो का होता है, जब भी कोई संगीत सिखने की सोचता है या अपने मित्र या परिवार से संगीत सिखने की बात करता है तो कई बार उसे कह दिया जाता है की “तेरी आवाज बहुत ख़राब है तू संगीत नहीं सिख सकता” और इससे कई बार साहस टूट जाता है | शुरुआत में जब भी कोई संगीत सिख रहा होता है तो कभी उसके मन में भी ख्याल आता है की मेरी आवाज ख़राब है क्या में संगीत सिख पाउँगा ? इसका सीधा उत्तर है कोई भी व्यक्ति जो बोल सकता है वह संगीत सिख सकता है |


जैसे की ऊपर बताया गया संगीत के लिए सबसे जरुरी नाद है और नाद एक प्रकार की ध्वनि होती है | तो जो व्यक्ति बोल सकता है मतलब उसके पास ध्वनि है अब उसे उस ध्वनि में से कानो को अच्छी लगने वाली ध्वनि निकालनी है ताकि उसे संगीत में काम लाया जा सके | मनुष्यो की ध्वनि को नाद में बदलने के लिए ही शास्त्रीय संगीत सिखाया जाता है | जिसमे सुर और ताल के माध्यम से ही व्यक्ति की आवाज को एक मधुर ध्वनि में बदला जाता है | तो अगर आप संगीत सीखना चाहते है और अगर आपको कोई ये कहता है “तुम संगीत नहीं सिख सकते तुम्हारी आवाज ख़राब है” तो उसे नजरअंदाज करे और अपना सारा ध्यान संगीत सिखने में लगाए | संगीत सिखने के लिए सिर्फ आवाज जरुरी है तो अगर आपके पास आवाज है तो आप संगीत भी सिख सकते है |
शास्त्रीय संगीत की किसी भी जानकारी के लिए इसे बुकमार्क कर लीजिये यहाँ शास्त्रीय संगीत की सारी जानकारी दी जायेगी | अगले ब्लॉग में संगीत के प्रकार के बारे में बताया जायेगा |
पढ़ने के लिए धन्यवाद – Thanks For Reading
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