आशा करते है आपने संगीत से जुड़े पिछले सभी ब्लॉग पढ़ लिए होंगे और आप संगीत एवं स्वर की आधारभूत जानकारी के बारे में जानते होंगे | क्योकि इस ब्लॉग में सप्तक के बारे में बताया जायेगा जिसके लिए स्वर और संगीत के जानकारी होना जरुरी है | अगर आपने अभी तक स्वरों और संगीत के बारे में नहीं पढ़ा है तो यहाँ क्लिक करे | स्वरों और ध्वनि की तरह ही सप्तक भी संगीत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसके बिना संगीत नहीं सीखा जा सकता इस ब्लॉग में सप्तक क्या है ? सप्तक कैसे बनता है ? सप्तक कितने होते है ? की पूरी जानकारी दी जाएगी | चलिए शुरू करते है – सप्तक क्या है ?
सप्तक क्या है ?
सात स्वरों के समूह को जब रक क्रम से गाया या बजाया जाता है तो उसे सप्तक कहते है, जैसे – स रे ग म प ध और नी | एक सप्तक ‘स’ से ‘नी’ तक होता है और ‘नी’ के बाद जो ‘स’ आता है वहाँ से दूसरा सप्तक शुरू होता है |
सप्तक कितने प्रकार का होता है ?
सप्तक मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते है:-


1.) मंद्र सप्तक
साधारण आवाज से दुगुनी नीची आवाज में गाया या बजाया जाने वाला सप्तक मंद्र सप्तक कहलाता है | इस सप्तक की आवाज नीची और गंभीर होती है | इस आवाज को गाने में दिल पर जोर पड़ता है | भातखण्डे स्वरलिपि पद्धति के अनुसार मंद्र सप्तक के स्वरों के निचे बिंदु लगता है, जैसे – स़ा ऱे ग़ म़ प़ ध़ ऩि |
2.) मध्य सप्तक
जिस सप्तक के स्वरों की आवाज साधारण बोलचाल की आवाज जैसी होती है उसे मध्य सप्तक कहते है | यह आवाज न अधिक नीची एवं न अधिक ऊँची होती है | इसकी पहचान के लिए किसी प्रकार के चिह्न का प्रयोग नहीं किया जाता | जैसे – स रे ग म प ध नी |
3.) तार सप्तक
मध्य सप्तक से दुगुनी ऊँची आवाज में गाया अथवा बजाया जाने वाला सप्तक तार सप्तक कहलाता है | इस सप्तक के स्वरों को गाने से मस्तिष्क पर जोर पड़ता है | स्वरों की पहचान के लिए ऊपर बिंदु का प्रयोग किया जाता है, जैसे – सां रें गं मं पं धं निं |
सप्तक का चित्र:-


Thanks For Reading – पढ़ने के लिए धन्यवाद्
आशा करते है सप्तक से जुडी सभी जानकारी आपको मिल गयी होगी | अगर आपको यह जानकारी उपयोगी लगी होतो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे | भारतीय शास्त्रीय संगीत की पूरी जानकारी हिंदी में पढ़ने के लिए आप इसे बुकमार्क कर ले | संगीत से जुडी किसी भी तरह के प्रश्न पूछने के लिए निचे कमेंट करे आपके प्रश्नो का जल्द से जल्द उत्तर दिया जायेगा |