अपने देखा होगा जबसे कोविड-19 दुनिया में आया है, तबसे इसके लक्षण समय के अनुसार बदलते जा रहे है और यह वायरस वातावरण के अनुसार अपने आप को मजबूत बनाता जा रहा है | डेल्टा और डेल्टा प्लस वैरिएंट भी उसी तरह के बदलाव से आया है जो पहले वाले कोविड से कही ज्यादा ताकतवर और प्रभावशाली है | डेल्टा वैरिएंट कोविड से बिलकुल अलग है जिसके लक्षण बिलकुल अलग है | कोविड वायरस अपने आप को इतनी तेजी से बदल रहा है की लोगो को डेल्टा वैरिएंट के बारे में जानने की बहुत ज्यादा जरुरत है | आज के इस ब्लॉग में आपको कोविड के डेल्टा वैरिएंट के बारे में पूरी जानकारी हिंदी में मिलेगी | चलिए शुरू करते है – What is Covid-19 Delta Variant ?
कोविड-19 डेल्टा वैरिएंट क्या है ?
WHO के अनुसार कोई भी वायरस खुद की नक़ल करता है और उसकी और भी कॉपियां बनाता है, जो की एक वायरस के लिए सामान्य बात है | वायरस जितनी बार अपनी कॉपियां बनाता है वह पिछले वायरस से थोड़ा अलग और अधिक प्रभावी होता है और वायरस में होने वाले इन बदलावों को म्युटेशन कहते है | जब कोई वायरस एक या एक से ज्यादा बार म्युटेशन करके नया वायरस बनाता है तो उसे वैरिएंट कहा जाता है | विशेषज्ञों के अनुसार कोविड वायरस एक स्ट्रेन में बदल चूका है जिसमे डेल्टा वैरिएंट को सबसे खतरनाक बताया जा रहा है |
कोविड-19 डेल्टा वैरिएंट के लक्षण क्या है ?
जब किसी वायरस में म्युटेशन के कारण नया स्ट्रेन या वैरिएंट बनता है तो उसके साथ उस वायरस के लक्षणों में भी बदलाव आ जाते है और ये बदलाव कम या ज्यादा हो सकते है | डेल्टा वैरिएंट के सामान्य लक्षणों में सुखी खांसी, बुखार और थकान शामिल है | वही इसके गंभीर लक्षणों की बात करे, तो मरीज को सीने में दर्द, सांस फूलना और सांस लेने में में परेशानी या बात करने में परेशानी देखी जा सकती है | WHO के अनुसार डेल्टा वैरिएंट के अन्य लक्षणों में त्वचा पे चकत्ते, पैर की उंगलियों के रंग में बदलाव, गले में खराश, स्वाद और गंध का समझ में ना आना, दस्त और सिर दर्द शामिल है | ये लक्षण सामान्य कोविड वायरस से अलग है इसीलिए इसे पहचानने के लिए इसके लक्षणों के बारे में जानना जरुरी है |
कोविड की वैक्सीन डेल्टा वायरस के खिलाफ लड़ने में कितना सक्षम है ?


डेल्टा वैरिएंट के विकसित होने के बाद अब यह सवाल उठता है की क्या कोविड वैक्सीन डेल्टा वैरिएंट से लड़ने में सक्षम है ? अध्ययनों के अनुसार कोविड वैक्सीन डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ लड़ने में काफी सक्षम है | भारत बायोटेक के covaxin और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया के covishield or रूस की वैक्सीन sputnik-V सभी डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ लड़ने में सक्षम है | वैक्सीनेशन के बाद भी व्यक्ति पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है, व्यक्ति वैक्सीनेशन के बाद भी कोविड से संक्रमित हो सकता है | परन्तु कोविड का प्रभाव कम रहेगा इसीलिए वैक्सीनेशन बहुत ही जरुरी है |
डेल्टा वैरिएंट का संक्रमण कितनी तेजी से होता है ?


डेल्टा वैरिएंट सामान्य कोविड से करीब 172 फीसदी ज्यादा संक्रामक है | यह डेल्टा वैरिएंट बहुत ही रफ़्तार से फ़ैल रहा है और इसके लक्षण संक्रमण के 6 महीने बाद तक भी रह सकते है इसीलिए इससे बहुत ज्यादा सावधान रहने की आवश्यकता है | जिस तरह अल्फ़ा वैरिएंट दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार माना जाता है उसी तरह अगर सावधानी ने बरती गयी तो डेल्टा वैरिएंट बहुत जल्दी तीसरी लहर ला सकता है और इसके संक्रमण बहुत तेजी से होने की वजह से इसे रोक पाना बेहद मुश्किल हो सकता है जिससे देश में दूसरी लहर से भी ज्यादा ख़राब हालात हो सकते है | डेल्टा वैरिएंट से बचने के लिए वैक्सीन के साथ मास्क और sanitizer का पूरा उपयोग करे |
Thanks For Reading – पढ़ने के लिए धन्यवाद्
अगर आपको यह जानकारी उपयोगी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर जरूर करे | Covid-19 से रिलेटेड किसी भी जानकारी के निचे कमेंट में प्रश्न पूछ सकते है | आपके प्रशनो का जल्द से जल्द उत्तर दिया जायेगा | Covid-19 से जुडी जरुरी जानकारी पढ़ने के लिए इस पेज को बुकमार्क कर सकते है |